मैं गुमनाम कवि हूँ गाँवों का ,
मेरी कविता कौन ? पढ़ेगा ।
सहज जाल शब्दों का बुनता ,
इन जालों में कौन फसेंगा ।
हमें कौन स्नेह प्रेम दे , अपनों में देगा सम्मान !
नहीं मुझे है इसकी चिन्ता , न खुद पर है अभिमान |
मेरा परिचय तुमसे कैसा , मैं हूँ मानव तेरे जैसा ,
बस मानवता पथ है मेरा , यह पथ बोलो कौन बढ़ेगा ।।
🖋रमेश तिवारी लल्लन गुलालपुरी
दरियापुर उर्फ़ गुलालपुर,सहसों, प्रयागराज,
उत्तर प्रदेश, भारत
" आधुनिक युग का तुलसी "
रिपोर्ट की समस्या
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