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वृंदा विपिन

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बालमन सु वृंदा विपिन, बालमन कलिका प्रमुदित। बालमन विकसित सुमन, बालमन नेह सहज सुलभ। बालमन पावन प्रसून, बालमन छल छंद विहीन। बालमन ईर्ष्या द्वेष रहित, बालमन छवि मोहन विरल। बालमन पल क्षोभ किंचित, पल ...

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लेखक के बारे में
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Brahmwati Sharma

मै ब्रहम वती शर्मा सेवा निवृत्त सहायक अ पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाथरस उत्तर प्रदेश, मेरे स्वर्गीय पिताजी श्री भी शिक्षा विभाग में थे उनहोंने मुझे उस समय शिक्षित किया जब बहुत ही कम बालिकाये शिक्षित हुआ करतीं थीं, इसलिए मैं उनका शत शत बार और माँ का भी नमन करना चाहूंगी। समाज मे फैली विषमताओं, प्रकृति मे उतपन्न विक्षोभ को जब देखती हूँ, अन्तर आत्मा आन्दोलित हो उठती है। और लेखनी अविरल अपने गंतव्य की ओर चल देती है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aditi Tandon
    19 अप्रैल 2025
    वाह वाह वाह बहुत सुंदर शब्द संयोजन बहुत अच्छी रचना है आपकी 👌👌👌
  • author
    19 अप्रैल 2025
    भावपूर्ण आपकी कलम से लिखा गया🙏🙏🙏👌👌💐
  • author
    Meena Bhatt.
    19 अप्रैल 2025
    अद्भुत लेखन क्षमता है आप में दीदी!!!🙏💖
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    Aditi Tandon
    19 अप्रैल 2025
    वाह वाह वाह बहुत सुंदर शब्द संयोजन बहुत अच्छी रचना है आपकी 👌👌👌
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    19 अप्रैल 2025
    भावपूर्ण आपकी कलम से लिखा गया🙏🙏🙏👌👌💐
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    Meena Bhatt.
    19 अप्रैल 2025
    अद्भुत लेखन क्षमता है आप में दीदी!!!🙏💖