नि.-उदयपुर (राज.), शिक्षा- BSc, BEd, व्यवसाय- (से.नि.) स. वाणि. कर अधिकारी। ----मेरी सभी रचनायें 'कॉपीराइट©' अधिकार के तहत सर्वाधिकार सुरक्षित हैं! आत्म-कथन :- ...जब मैं पाँचवीं कक्षा में पढ़ रहा था, तब से ही कहानी-उपन्यास पढ़ना प्रारम्भ कर दिया था। दसवीं कक्षा में आया, तो लेखन के प्रति अभिरुचि उत्पन्न हुई। प्रारम्भ कविताओं से हुआ। पहली कविता जयपुर के अपने विद्यालय में आयोजित 'अन्तर्विद्यालय कविता- प्रतियोगिता' में दिये गये एक शीर्षक 'जाने दो' पर लिखी तथा द्वितीय पुरस्कार पाया। महाविद्यालय (अजमेर) में चार वर्षीय अध्ययन के दौरान कविता के अलावा कहानी-लेखन की ओर भी रुझान हुआ। दो वर्षों तक निरन्तर अन्तर्महाविद्यालय कहानी- प्रतियोगिताओं में भाग लिया और दोनों ही बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। इससे प्रोत्साहित होकर यदा-कदा लिखता रहा। अध्ययन-काल में अधिकतम लिखा।अपने सेवा-काल में व्यस्ततावश कई वर्षों तक लेखन-कार्य में कुछ शिथिल रहा, लेकिन सेवा-निवृत्ति के बाद फिर से लेखन की ओर प्रवृत हुआ। विज्ञान व गणित का विद्यार्थी रहा हूँ पर साहित्य-साधना की ओर प्रारम्भ से ही उन्मुख रहा हूँ। मुझे प्रसन्नता है कि सुधी पाठकों के लिए 'प्रतिलिपि' के सुनहरे पटल पर मैं अपनी नई रचनाओं के साथ मेरी डायरी में संग्रहित अपनी पुरानी रचनाएँ भी प्रस्तुत कर सकूँगा। प्रयास यही रहेगा कि पाठकों को सुरुचिपूर्ण व अच्छा साहित्य दूँ। मेरी रचनाएँ मेरे ब्लॉग hridayeshbhatt.blogspot.com पर भी पढ़ी जा सकती हैं।
...और हाँ, स्नेही पाठक बन्धुओं की प्रतिक्रियाएँ मेरे लिए प्रेरणा व ऊर्जा का स्रोत बन सकेंगी।
रिपोर्ट की समस्या
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