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वृद्धाश्रम का सच (लघुकथा)

4.4
20041

"अरे रे रे... यह क्या कर रहे हो? क्या जला रहे हो? कौन सी किताब है यह?" -सारिका ने बरामदे में तन्मय को एक पुस्तक जलाते देख कर सवालों की झड़ी लगा दी। ड्रॉइंग रूम से अब बरामदे में तन्मय के पास आ गई ...

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लेखक के बारे में

नि.-उदयपुर (राज.), शिक्षा- BSc, BEd, व्यवसाय- (से.नि.) स. वाणि. कर अधिकारी। ----मेरी सभी रचनायें 'कॉपीराइट©' अधिकार के तहत सर्वाधिकार सुरक्षित हैं! आत्म-कथन :- ...जब मैं पाँचवीं कक्षा में पढ़ रहा था, तब से ही कहानी-उपन्यास पढ़ना प्रारम्भ कर दिया था। दसवीं कक्षा में आया, तो लेखन के प्रति अभिरुचि उत्पन्न हुई। प्रारम्भ कविताओं से हुआ। पहली कविता जयपुर के अपने विद्यालय में आयोजित 'अन्तर्विद्यालय कविता- प्रतियोगिता' में दिये गये एक शीर्षक 'जाने दो' पर लिखी तथा द्वितीय पुरस्कार पाया। महाविद्यालय (अजमेर) में चार वर्षीय अध्ययन के दौरान कविता के अलावा कहानी-लेखन की ओर भी रुझान हुआ। दो वर्षों तक निरन्तर अन्तर्महाविद्यालय कहानी- प्रतियोगिताओं में भाग लिया और दोनों ही बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। इससे प्रोत्साहित होकर यदा-कदा लिखता रहा। अध्ययन-काल में अधिकतम लिखा।अपने सेवा-काल में व्यस्ततावश कई वर्षों तक लेखन-कार्य में कुछ शिथिल रहा, लेकिन सेवा-निवृत्ति के बाद फिर से लेखन की ओर प्रवृत हुआ। विज्ञान व गणित का विद्यार्थी रहा हूँ पर साहित्य-साधना की ओर प्रारम्भ से ही उन्मुख रहा हूँ। मुझे प्रसन्नता है कि सुधी पाठकों के लिए 'प्रतिलिपि' के सुनहरे पटल पर मैं अपनी नई रचनाओं के साथ मेरी डायरी में संग्रहित अपनी पुरानी रचनाएँ भी प्रस्तुत कर सकूँगा। प्रयास यही रहेगा कि पाठकों को सुरुचिपूर्ण व अच्छा साहित्य दूँ। मेरी रचनाएँ मेरे ब्लॉग hridayeshbhatt.blogspot.com पर भी पढ़ी जा सकती हैं। ...और हाँ, स्नेही पाठक बन्धुओं की प्रतिक्रियाएँ मेरे लिए प्रेरणा व ऊर्जा का स्रोत बन सकेंगी।

समीक्षा
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  • author
    Puja Thakur
    07 ഒക്റ്റോബര്‍ 2019
    मन को झकझोर कर रख दिया आपकी रचना ....सच में कभी-कभी मैं स्वयं भी इस सोच में पड़ जाती हूँ कि मैं जो भी आदर्श, या सीख अपनी रचनाओं में प्रस्तुत करती हूँ क्या मैं स्वयं उन आदर्शों पर खड़ी उतरी हूँ या नहीं...अगर स्वयं हम उस सीख को,उन आदर्शों को जीवन में नहीं उतार पा रहे,तो हमें कोई हक नहीं बनता ऐसी रचनाओं को लिखने का और दूसरों को उपदेश देने का..प्रेरणादायक रचना👌👌👏👏🙏
  • author
    08 ഒക്റ്റോബര്‍ 2019
    समाज को आईना दिखाती हुई एक और प्रेरणादायक रचना ...आपका सृजन हर बार एक छाप छोड़ जाता है ।आदर्शों का बखान और अनुसरण, सिक्के के दो पहलू जिन्हें आपने बखूबी अपने पाठक तक पहुँचाया है ।पर उपदेश कुशल बहुतेरे ..इस कहावत को चरितार्थ करती रचना हेतु बहुत बहुत बधाई ...आदरणीय..नमन आपको और आपकी लेखनी को🙏🙏🙏🙏
  • author
    Stuti Sharma
    15 ഒക്റ്റോബര്‍ 2020
    ajj ke samay ki sachai yahi hi
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    Puja Thakur
    07 ഒക്റ്റോബര്‍ 2019
    मन को झकझोर कर रख दिया आपकी रचना ....सच में कभी-कभी मैं स्वयं भी इस सोच में पड़ जाती हूँ कि मैं जो भी आदर्श, या सीख अपनी रचनाओं में प्रस्तुत करती हूँ क्या मैं स्वयं उन आदर्शों पर खड़ी उतरी हूँ या नहीं...अगर स्वयं हम उस सीख को,उन आदर्शों को जीवन में नहीं उतार पा रहे,तो हमें कोई हक नहीं बनता ऐसी रचनाओं को लिखने का और दूसरों को उपदेश देने का..प्रेरणादायक रचना👌👌👏👏🙏
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    08 ഒക്റ്റോബര്‍ 2019
    समाज को आईना दिखाती हुई एक और प्रेरणादायक रचना ...आपका सृजन हर बार एक छाप छोड़ जाता है ।आदर्शों का बखान और अनुसरण, सिक्के के दो पहलू जिन्हें आपने बखूबी अपने पाठक तक पहुँचाया है ।पर उपदेश कुशल बहुतेरे ..इस कहावत को चरितार्थ करती रचना हेतु बहुत बहुत बधाई ...आदरणीय..नमन आपको और आपकी लेखनी को🙏🙏🙏🙏
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    Stuti Sharma
    15 ഒക്റ്റോബര്‍ 2020
    ajj ke samay ki sachai yahi hi