pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

वो आया था बड़ा पशेमान सा

4.3
2540

वो आया था बड़ा पशेमान सा ,कुछ दर्द गाने को हमें मालूम था वह दिल किसी का तोड़ आया था । न थी जलती हुई आँखों में कोई प्यार की नरमी , वो आशिक के जिगर को बेदिली से तोड़ आया था । कहानी चल रही थी ,सीधे रस्ते भी , बहुत धीरे , मगर उसने हजारों बार, उसमें मोड़, लाया था । निगहबानी में ऐसे लोग से मोहब्बत को खतरा है , अकूबत में आशिक़ी का आशियाना छोड़ आया था । हक़ीक़त में तो अब वीरान है दिल की यहाँ दुनिया , वो नगमें सारे झूठे थे जो उसने जोड़ लाया था । किसी क़ातिल से क्या नजरे मिलाना वो क्या समझेगा जिसने प्यार का दीदा ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shraddha Upadhyay
    24 ಜೂನ್ 2019
    बहुत अच्छी लिखी है आपने गजल...बस दूसरे शेर के दूसरे मिश्रे में काफिया बदलना चाहिये था आपको..फिर बेहतरीन होती ।
  • author
    sandeep parihar "sp"
    14 ಡಿಸೆಂಬರ್ 2018
    Very nice
  • author
    Satpal. Singh Jatiyan
    07 ಮೇ 2020
    so so.poem Gazal jo bhi h thought se bahar chli jaati h.kyi bar metre me nhi dikhti.pryas jari rakhiye aapke pas shbd achhe hn.
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shraddha Upadhyay
    24 ಜೂನ್ 2019
    बहुत अच्छी लिखी है आपने गजल...बस दूसरे शेर के दूसरे मिश्रे में काफिया बदलना चाहिये था आपको..फिर बेहतरीन होती ।
  • author
    sandeep parihar "sp"
    14 ಡಿಸೆಂಬರ್ 2018
    Very nice
  • author
    Satpal. Singh Jatiyan
    07 ಮೇ 2020
    so so.poem Gazal jo bhi h thought se bahar chli jaati h.kyi bar metre me nhi dikhti.pryas jari rakhiye aapke pas shbd achhe hn.