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विवेक का ताला बुद्धि की चाभी

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जबसे मनने बुद्धि की चाभी पर नियन्त्रण कर लिया है। विवेक ताले में बन्द है, परिणाम विनाश, तय हो गया है। जब विवेक रहित फैसले होंगे। अहंकार को, विजयी घोषित, किया जाता रहेगा। मानवता जार जार रोएगी। पशुता ...

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लेखक के बारे में

भाव और भाषा जीवन के विस्तार हैं, कदम कदम पर जीवन के श्र्ंगार हैं।

समीक्षा
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    sarita chand
    29 जनवरी 2021
    मन की चंचलता को कोई नई साध सकता है पर जिस ने मन को साध लिया वो मोह माया जैसी चीजों से उपर उठ जाता है बहुत सुंदर रचना लाजवाब प्रस्तुति 👌👌👌👌🌹💐🌹💐🙏
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    29 जनवरी 2021
    मेरे पास तो शब्द ही नहीं रहते आपकी कविताओं की समीक्षा करने के लिए इतनी उत्कृष्ट रहती है इतने सुंदर शब्दों से अलंकृत रहती है..🙏🏼🙏🏼🙏🏼🥀🥀
  • author
    29 जनवरी 2021
    मन बहुत चंचल है मन को साधना इतना आसान कहा है ? लेकिन जिसनै मन को साध लिया वो मोह माया से उपर उठ जाता है 👌👌👌🙏बहुत बढ़िया भाव ।
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    sarita chand
    29 जनवरी 2021
    मन की चंचलता को कोई नई साध सकता है पर जिस ने मन को साध लिया वो मोह माया जैसी चीजों से उपर उठ जाता है बहुत सुंदर रचना लाजवाब प्रस्तुति 👌👌👌👌🌹💐🌹💐🙏
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    29 जनवरी 2021
    मेरे पास तो शब्द ही नहीं रहते आपकी कविताओं की समीक्षा करने के लिए इतनी उत्कृष्ट रहती है इतने सुंदर शब्दों से अलंकृत रहती है..🙏🏼🙏🏼🙏🏼🥀🥀
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    29 जनवरी 2021
    मन बहुत चंचल है मन को साधना इतना आसान कहा है ? लेकिन जिसनै मन को साध लिया वो मोह माया से उपर उठ जाता है 👌👌👌🙏बहुत बढ़िया भाव ।