pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

वितरण

4.7
822

सन्ध्या का समय था।मन्दिर में आरती हो रही थी। भक्तजन भक्ति में निमग्न हो आरती गा रहे थे। धूप जल रही थी।घंटियां बज रही थीं।सारा वातावरण सुखद तंद्रा से भरा हुआ था। सभी भक्तिभाव में तल्लीन थे।आरती समाप्त ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sudarshan Saran
    03 सितम्बर 2017
    ईश्वरीय विधान समझना सब के बस में नही ।
  • author
    16 जुलाई 2021
    बहुत सुन्दर।
  • author
    Pallavi Sharma
    03 सितम्बर 2020
    achi rachna hai
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sudarshan Saran
    03 सितम्बर 2017
    ईश्वरीय विधान समझना सब के बस में नही ।
  • author
    16 जुलाई 2021
    बहुत सुन्दर।
  • author
    Pallavi Sharma
    03 सितम्बर 2020
    achi rachna hai