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विश्वास की साँस

4.5
10477

33000 हजार फ़ीट की ऊँचाई ..अरब महासागर के ऊपर ,बादलों को चीरता हुआ वायुयान ,बाहर हवा मे हो रही अशांति के कारण हिलता-डुलता ...अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जा रहा था.. ये हिचकोले ..वायुयान के पिछले हिस्से मे ...

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लेखक के बारे में

इलाहबाद विश्विद्यालय से भौतिक शास्त्र मे स्नातकोत्तर मध्य प्रदेश के भोपाल जिले मे निवासरत मूलतः कानपुर (उ.प्र.)का निवासी [email protected]

समीक्षा
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  • author
    Monica Dhiman
    11 जुलाई 2016
    विश्वास की साँस..... बहुत ही खूबसूरती से माँ और बच्चे के जुड़ाव को प्रस्तुत करती हुई कथा। बच्चे के जनम के साथ ही जनम लेती है एक माँ भी...और जनम लेता है एक अटूट भावनात्मक रिश्ता.। ....................एक ही साँस में पढ़ गई....विश्वास की साँस.... बहुत ही अपनी सी लगी।हर माँ ऐसी ही होती है। विषय का चुनाव एंव प्रभावशाली लेखन शैली ने मन मोह लिया।.... ................पुरुष होते हुए भी नारी मन की भावनाओं को बखूबी शब्दों में ढाला है आप ने। जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।ऐसे ही लिखते रहिये। तहे दिल से शुभ कामनायें😊😊💐💐💐
  • author
    Shefali Dubey
    09 जुलाई 2016
    माँ - बेटे के रिश्ते की जीत की कहानी ..अनुभव की कलम से लिखी हैं.. वैसे विश्वास wifi जैसा ..दिखता नही पर जो चाहिये उससे जोड़ता हैं... पर कहानी पढ़ लगा माँ - बेटे का रिश्ता आत्मा के wifi से जुड़ा होता हैं...बीमार माँ का परम विश्वास..अचम्भों को creat कर सकताहैं... माँ के विश्वास का जादू... विश्वास मे ' विश्वास ' हैं...यही अनवरत साँसो का सिलसिला.... ..संवेदनाओ का झरना हैं आप मे ..जो लेखनी मे बहता हैं
  • author
    Rinku Chatterjee
    11 जुलाई 2016
    सृष्टि का सबसे मधुर और मज़बूत सम्बंध नाड़ी का है, जननी का अपनी सन्तान से। विश्वास के इसी अमृत नाल पे विष का वास होना असम्भव है। कहानी में अतिशयोक्ति लेश मात्र नही। सहज सरल शब्दों ने मन को आत्मा से बांधे रखा ठीक किसी uumbilical cod की मानिन्द। और कहानी के मर्म की अमृत बूँदो को घूँट घूँट मन की सुराही से आत्मा की हलक में उतारती चली गई। पुनः अभिनन्दन।
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    Monica Dhiman
    11 जुलाई 2016
    विश्वास की साँस..... बहुत ही खूबसूरती से माँ और बच्चे के जुड़ाव को प्रस्तुत करती हुई कथा। बच्चे के जनम के साथ ही जनम लेती है एक माँ भी...और जनम लेता है एक अटूट भावनात्मक रिश्ता.। ....................एक ही साँस में पढ़ गई....विश्वास की साँस.... बहुत ही अपनी सी लगी।हर माँ ऐसी ही होती है। विषय का चुनाव एंव प्रभावशाली लेखन शैली ने मन मोह लिया।.... ................पुरुष होते हुए भी नारी मन की भावनाओं को बखूबी शब्दों में ढाला है आप ने। जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।ऐसे ही लिखते रहिये। तहे दिल से शुभ कामनायें😊😊💐💐💐
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    Shefali Dubey
    09 जुलाई 2016
    माँ - बेटे के रिश्ते की जीत की कहानी ..अनुभव की कलम से लिखी हैं.. वैसे विश्वास wifi जैसा ..दिखता नही पर जो चाहिये उससे जोड़ता हैं... पर कहानी पढ़ लगा माँ - बेटे का रिश्ता आत्मा के wifi से जुड़ा होता हैं...बीमार माँ का परम विश्वास..अचम्भों को creat कर सकताहैं... माँ के विश्वास का जादू... विश्वास मे ' विश्वास ' हैं...यही अनवरत साँसो का सिलसिला.... ..संवेदनाओ का झरना हैं आप मे ..जो लेखनी मे बहता हैं
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    Rinku Chatterjee
    11 जुलाई 2016
    सृष्टि का सबसे मधुर और मज़बूत सम्बंध नाड़ी का है, जननी का अपनी सन्तान से। विश्वास के इसी अमृत नाल पे विष का वास होना असम्भव है। कहानी में अतिशयोक्ति लेश मात्र नही। सहज सरल शब्दों ने मन को आत्मा से बांधे रखा ठीक किसी uumbilical cod की मानिन्द। और कहानी के मर्म की अमृत बूँदो को घूँट घूँट मन की सुराही से आत्मा की हलक में उतारती चली गई। पुनः अभिनन्दन।