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विषाद

4.2
401

देख माँ, सज गई मैं बन गई दुल्हन. पिता ने पुण्य तो कमा लिया होगा भाई का बोझ कुछ तो कम हुआ होगा देख कितनी रौनक है घर में, हर रिश्ता मुझसे जुड़ गया होगा, पर माँ अब भी कुछ तो दहक रहा मेरे मन में... ...

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लेखक के बारे में

प्रियंका सिंह छात्रा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ram Kumar
    13 मई 2018
    How to rate you without reading. The worst app.it is.
  • author
    10 अक्टूबर 2017
    स्त्री वेदना का बखूबी चित्रण
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
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    Ram Kumar
    13 मई 2018
    How to rate you without reading. The worst app.it is.
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    10 अक्टूबर 2017
    स्त्री वेदना का बखूबी चित्रण
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    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है