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विरह वियोग

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विरह वियोग सताय रहा हमका करि याद बलम आवत हुअहि, चटकी कलियां फड़की अंखियां। मुड़ेरी पे कागा खबर दैअ भागा , बहियां फड़की कह उठहहिअबहि। सजन हमार अबहिन घर अइहैय , अंगना बुहारी और सेज सांवरी । सोलह सिंगार ...

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लेखक के बारे में
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upendra kumar singh

मैं उपेन्द्र कुमार सिंह स्नातक वर्तमान सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी हिन्दी पढने मे रुचि तथा कुछ लिखने का प्रयास के कारण प्रति लिपि मंच से जुड़ा

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    AFROZ KHAN
    08 अप्रैल 2023
    अति सुन्दर बेहतरीन सृजनात्मकता। मेरी भी रचना पढ़े अच्छी लगे तो फॉलो और कॉमेंट करें।👍👌💯⭐🌷
  • author
    Asha garg
    07 अप्रैल 2023
    wow so beautiful heart touching ❤️ rachna
  • author
    Shakun Shrivastava
    07 अप्रैल 2023
    अत्यंत मनोहारी रचना,आदरणीय ! 👌👌👌✍️✍️✍️✍️💐💐💐.
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    AFROZ KHAN
    08 अप्रैल 2023
    अति सुन्दर बेहतरीन सृजनात्मकता। मेरी भी रचना पढ़े अच्छी लगे तो फॉलो और कॉमेंट करें।👍👌💯⭐🌷
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    Asha garg
    07 अप्रैल 2023
    wow so beautiful heart touching ❤️ rachna
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    Shakun Shrivastava
    07 अप्रैल 2023
    अत्यंत मनोहारी रचना,आदरणीय ! 👌👌👌✍️✍️✍️✍️💐💐💐.