pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

विरह वेदना और मोबाइल

5
14

विरह के पलों में चिट्ठी और मोबाइल की भूमिका को बताती कविता ।

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Vinay Jain 'Anand'

जो नहीं था पास मेरे नाम वो अपना लिया दुख भरे जीवन में यूँ "आनन्द' देखो पा लिया विनय जैन "आनन्द' विनय जैन "आनन्द' विनय जैन S/O राजेन्द्र जी जैन, पालोदा- बांसवाड़ा ( राज. ) माता - शुशीला देवी बहनें - डिंपल, हर्षिता, मेघा 9460245606

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Krishna Shukla
    28 फ़रवरी 2020
    मोबाइल मन के साथ नयनो को भी मिलन का सुख देता है. विरही मन को तो मोबाइल जीवन रेखा बन जाताहै . बहुत खूबसूरत रचना... .
  • author
    Bina Jain
    29 फ़रवरी 2020
    विरही मनोदशा का सुंदर चित्रण
  • author
    Aarti Singh
    28 फ़रवरी 2020
    whaaaa bhaiya kamal hai 😍😍
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Krishna Shukla
    28 फ़रवरी 2020
    मोबाइल मन के साथ नयनो को भी मिलन का सुख देता है. विरही मन को तो मोबाइल जीवन रेखा बन जाताहै . बहुत खूबसूरत रचना... .
  • author
    Bina Jain
    29 फ़रवरी 2020
    विरही मनोदशा का सुंदर चित्रण
  • author
    Aarti Singh
    28 फ़रवरी 2020
    whaaaa bhaiya kamal hai 😍😍