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विरह

4.9
158

साथ उनका हमे भी अच्छा लगता अगर वो भी वक्त रहते ठहर जाते, हम आज भी उन राहो पर नजर लगाये रहते हैं, जहाँ वो हमसे मिलने को बेचैन हुआ करते थे..... ...

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लेखक के बारे में
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मीरा 💞
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    mady😈
    22 सप्टेंबर 2023
    बेकरार तो वो भी है मिलने की चाह में वो तो आज भी मुसाफिर है आपकी मंजिल के
  • author
    🦋Sushma🦋
    03 जानेवारी 2024
    very heart touching👌👌
  • author
    MN
    26 ऑक्टोबर 2023
    kya baat 👍👍👍👌👌👌
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  • author
    mady😈
    22 सप्टेंबर 2023
    बेकरार तो वो भी है मिलने की चाह में वो तो आज भी मुसाफिर है आपकी मंजिल के
  • author
    🦋Sushma🦋
    03 जानेवारी 2024
    very heart touching👌👌
  • author
    MN
    26 ऑक्टोबर 2023
    kya baat 👍👍👍👌👌👌