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विरह

4.6
161

आज मैं खुद से अपने लिखने की वजह पूछती हूँ कैसी हूँ क्या हूँ कितना बची हूँ अब खुद में आज मैं अपनी रूह का नाप तोल करती हूं आज मैं खुद से अपने लिखने की वजह पूछती हूँ..... रिस रिस कर बही हूँ मैं ...

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लेखक के बारे में

हाँ काफ़िर हूँ मैं... पर गौर फरमा... काबिल हूँ मैं

समीक्षा
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    11 ऑगस्ट 2018
    वियोगी होगा पहला कवि , आह से उपजा होगा गान । अश्रुमय नयनों से ढ़लकर , बही होगी कविता अनजान ...निराला निराला जी की ये पंक्तियाँ आप पर खरी उतरती हैं ..
  • author
    विकास कुमार
    11 ऑगस्ट 2018
    वाह, बहुत सुंदर। वजह तो बहुत हैं ग़ालिब तेरे जीने की, तूने ही एक मोड़ को अपनी मंजिल समझा।.
  • author
    Jiwan Sameer
    11 ऑगस्ट 2018
    शानदार प्रस्तुति
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    11 ऑगस्ट 2018
    वियोगी होगा पहला कवि , आह से उपजा होगा गान । अश्रुमय नयनों से ढ़लकर , बही होगी कविता अनजान ...निराला निराला जी की ये पंक्तियाँ आप पर खरी उतरती हैं ..
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    विकास कुमार
    11 ऑगस्ट 2018
    वाह, बहुत सुंदर। वजह तो बहुत हैं ग़ालिब तेरे जीने की, तूने ही एक मोड़ को अपनी मंजिल समझा।.
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    Jiwan Sameer
    11 ऑगस्ट 2018
    शानदार प्रस्तुति