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विक्षिप्ता

4.7
119

विक्षिप्ता कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त" अदाऐं तुम कुछ गजब ढा़ रही हों..। मुझ में फिर से ख्वाब जगा रही हों.. अदाऐं तुम ..... पा सकू मंजिल में राहें दिखा रही हों.. अदाऐं तुम.... जी सकू इक नई शुरूआत ...

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लेखक के बारे में
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Kumar durgesh Vikshipt *Vaishnav*

साहित्य प्रेमी ( पूर्व नवोदयन विद्यार्थी )9983113919 कोटडी़ ग्राम, जिला भीलवाडा़,राजस्थान

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Hanuman Bairwa
    09 जनवरी 2019
    खूब...
  • author
    Heena Lad "પ્રતિબદ્ધ"
    13 दिसम्बर 2018
    Expressed lust of love.. deeplly
  • author
    Jiwan Sameer
    13 दिसम्बर 2018
    सुंदर प्रस्तुति
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  • author
    Hanuman Bairwa
    09 जनवरी 2019
    खूब...
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    Heena Lad "પ્રતિબદ્ધ"
    13 दिसम्बर 2018
    Expressed lust of love.. deeplly
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    Jiwan Sameer
    13 दिसम्बर 2018
    सुंदर प्रस्तुति