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विक्रमादित्य के नवरत्न

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अकबर के नौ-रत्नों से इतिहास भर दिया, पर महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है ! जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके ...

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लेखक के बारे में
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Dr Ashwini Shukla

मैं डॉ अश्विनी शुक्ला प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हूँ। इससे पूर्व सर्व शिक्षा अभियान द्वारा संचालित ब्लॉक संशाधन केन्द्र हैदरगढ़ बाराबंकी में वरिष्ठ सह समन्वयक पर कार्यरत था।लगभग 9 वर्ष तक ब्लॉक समन्वयक हैदरगढ़ एवं 6 वर्ष तक सहसमन्वयक के पद पर कार्यरत रहा । वर्तमान में उत्कर्ष , बाल ज्योति , अभिनव , उत्थान शैक्षिक पत्रिकाओ का परिषदीय प्रकाशन तथा स्पंदन व विचार दर्शन नामक दो पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं । समसामयिक विषयों के साथ शैक्षिक व सामाजिक मुद्दों पर मन के भावों को व्यक्त कर हल्का होने का प्रयास करता हूँ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    08 जनवरी 2020
    वास्तव में अकबर हिंदू धर्म से और हिंदू शासकों से ही प्रभावित था। उसके शासन में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से झलकता है। इसके कोई शक नहीं, अकबर के दरबार में नवरत्नों के पीछे भी विक्रमादित्य के नवरत्नों का ही प्रभाव था। तभी तो अकबर ने सूर्य पूजा को कबूल कर एक नया धर्म 'दीन ए इलाही' चलाया।
  • author
    mukesh kumaru "कुमार"
    29 मई 2019
    वाह
  • author
    29 मई 2019
    बहुत सुन्दर
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    08 जनवरी 2020
    वास्तव में अकबर हिंदू धर्म से और हिंदू शासकों से ही प्रभावित था। उसके शासन में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से झलकता है। इसके कोई शक नहीं, अकबर के दरबार में नवरत्नों के पीछे भी विक्रमादित्य के नवरत्नों का ही प्रभाव था। तभी तो अकबर ने सूर्य पूजा को कबूल कर एक नया धर्म 'दीन ए इलाही' चलाया।
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    mukesh kumaru "कुमार"
    29 मई 2019
    वाह
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    29 मई 2019
    बहुत सुन्दर