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विकल ध्वनि ( VIKAL DHWANI )

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प्रस्तावना परिधि की रचना करते हुए मैंने पटना के अतीत को अपनी दृष्टि से देखने का प्रयास किया है। पूरी पुस्तक को पाँच अध्यायों में समेटा है,जिसमें मेरे बचपन ( 1962 )से लेकर  (साल 2019) युवा और ...

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लेखक के बारे में
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DEVENDRA GIRI

नाम-देवेंद्र गिरि जन्म तिथि-19.01.1957 शिक्षा- स्नातकोत्तर हिंदी पटना विश्वविद्यालय स्वतंत्र लेखन शिक्षा का अधिकार अधिनियम पर क्रियाशील शौक-यायावरी, प्रकृति के सौंदर्य को निहारना,पढ़ना लिखना, दूसरों की मदद करना पत्नी- शालिनी पुत्र- अभिषेक, अविजित पुत्री- श्वेता आदर्श- स्वयं रचनाएँ- जिन ढूँढा तिन पाइयाँ (उपन्यास) अंधेरे के पार (कहानी) माँ, बुद्ध का होना (कविता संग्रह) वेणुवन की रूपकथा ( उपन्यास)

समीक्षा
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    Devendra Giri
    30 अगस्त 2021
    मन को छूते हैं शब्द,,
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    Devendra Giri
    30 अगस्त 2021
    मन को छूते हैं शब्द,,