pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

"विजय भव:"

5
15

:::: ("मेरी कविता") ::: 📌 *थक हार कर क्यूँ बैठा है रे नौजवान,* *कर साहस जगा पौरूष और* *ढकेल चुनौतियों की चट्टान !* *भर हुँकार तू दृढ़ संकल्प की,* *जो कर्म-पथ पर है अडिग,* *वही पुरुष होता है महान !* ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

प्लाटून कमाण्डर, गृह (पुलिस) विभाग, म०प्र० शासन

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jiya Singh
    23 जनवरी 2024
    वीर रस में सराबोर तुम्हारा ये शब्दकोश प्रेम के निश्चल भाव से भी बजनीक सा है।। शाबास। ऐसे ही अपने ये भाव को दृढ़ करते रहें।।💐
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jiya Singh
    23 जनवरी 2024
    वीर रस में सराबोर तुम्हारा ये शब्दकोश प्रेम के निश्चल भाव से भी बजनीक सा है।। शाबास। ऐसे ही अपने ये भाव को दृढ़ करते रहें।।💐