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विधी का विधान

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अभी चौबीस घंटे भी नहीं हुए थे, शिखा को, सुहागन बने हुए। सुहागरात से पहले दोस्तों ने  पार्टी रखी, और उसमें उमेश को भी जबरदस्ती ले गये। उमेश की मम्मी ने बहुत रीति-रिवाज का हवाला दिया,पर उनकी एक ना ...

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लेखक के बारे में
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Namita Dubey
समीक्षा
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    09 अगस्त 2023
    बहुत ही सुन्दर और मार्मिकता पूर्ण रचना लिखा आपने। रिश्तों के कसौटी और उन्हीं रिश्तों में विश्वास करते हुए शिखा के हौसले बुलंद है। शिखा अपने जगह सही है, बाकी समाज और परिवार के लोग जो भी समझें। क्योंकि जो हुआ पति पत्नी के बीच हुआ।। बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण कहानी लिखा आपने।।🌻🌻🌄🌻🌻✍️✍️💯✍️✍️🪔🪔🪔🕉️🪔🪔🪔🌿🌿🌿🌹🌿🌿🌿👌👌👌👌
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    09 अगस्त 2023
    बहुत ही सुन्दर और मार्मिकता पूर्ण रचना लिखा आपने। रिश्तों के कसौटी और उन्हीं रिश्तों में विश्वास करते हुए शिखा के हौसले बुलंद है। शिखा अपने जगह सही है, बाकी समाज और परिवार के लोग जो भी समझें। क्योंकि जो हुआ पति पत्नी के बीच हुआ।। बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण कहानी लिखा आपने।।🌻🌻🌄🌻🌻✍️✍️💯✍️✍️🪔🪔🪔🕉️🪔🪔🪔🌿🌿🌿🌹🌿🌿🌿👌👌👌👌