हाँ मुझे प्रेम है प्रकृति से उसके अनुपम सौंदर्य से जब देखें उसकी सुंदर छवि मन उसमें खोना चाहे देख उसके गगन चूमी पर्वत जो सजे वृक्षों और बेलों की डाली से मानो सेतु बना रहे हो धरती से अम्बर तक ...
हंसाती है कविता रुलाती है कविता
कानों में चुपके से कुछ कहती है कविता
मन में उठ रही भावनाओं को कविता की माला में पिरो न मुझे अच्छा लगता है। यहां पर सारी रचनाएं मेरी स्वरचित हैं।
सारांश
हंसाती है कविता रुलाती है कविता
कानों में चुपके से कुछ कहती है कविता
मन में उठ रही भावनाओं को कविता की माला में पिरो न मुझे अच्छा लगता है। यहां पर सारी रचनाएं मेरी स्वरचित हैं।
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