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वेंकटेश की बेटी

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वेंकटेशजी मोहरें सजाने लगे, शतरंज के बोर्ड पर ।उन्होंने शीतल से कहा," तू भी मोहरें सजा ।" पापा बेटी की अद्भुत जोड़ी से मिलिए ,इस कहानी के माध्यम से । नमस्कार ।

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गीतांजलि
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    03 अगस्त 2018
    बेटी को बेटा बनाने की होड़ क्यूँ ? बेटी स्वयं में सम्पूर्ण है और सब कुछ करने में सक्षम |
  • author
    Beena Awasthi
    21 जुलाई 2020
    बेटी होना कोई गुनाह नहीं है कि उसे बेटा बनाना है। बेटा पुरुष होकर सम्पूर्ण है तो बेटी नारी होकर। नारी होकर बेटी कहीं भी न निम्न है और न कमजोर, उसे नारी ही बनना चाहिये। नारी में नारित्व ही होना चाहिये ताकि उसके हृदय में दया, ममता और स्नेह की मंदाकिनी इठलाती रहे।
  • author
    Savita Ojha
    26 जुलाई 2018
    बहुत ही प्यारी कहानी बेटी और पापा के अनमोल रिश्तों को दर्शाती
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    03 अगस्त 2018
    बेटी को बेटा बनाने की होड़ क्यूँ ? बेटी स्वयं में सम्पूर्ण है और सब कुछ करने में सक्षम |
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    Beena Awasthi
    21 जुलाई 2020
    बेटी होना कोई गुनाह नहीं है कि उसे बेटा बनाना है। बेटा पुरुष होकर सम्पूर्ण है तो बेटी नारी होकर। नारी होकर बेटी कहीं भी न निम्न है और न कमजोर, उसे नारी ही बनना चाहिये। नारी में नारित्व ही होना चाहिये ताकि उसके हृदय में दया, ममता और स्नेह की मंदाकिनी इठलाती रहे।
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    Savita Ojha
    26 जुलाई 2018
    बहुत ही प्यारी कहानी बेटी और पापा के अनमोल रिश्तों को दर्शाती