थोड़ी देर में रोजी आयी
और हमनें शाकाहारी भोजन आर्डर किया
तो
शुक्ला जी व्यंगित मुस्कान दे कर बोले
क्या सिर्फ घास ही खाते हो
मैंने मुस्कुरा कर कहा
जी, मुझे लाश खाने का शौक नहीं है .........
दोस्तों, जिन्दगी की भागदौड़ ने बंजारा बना दिया है। वक्त किसी के साथ ज्यादा समय रूकने नहीं देता और दिल किसी को छोड़ना नहीं चाहता। बस इन्हीं उलझे हुए लम्हात को कुछ अनकहे शब्दों से सुलझाने की कोशिश कर रहा हूं और मैं "उत्तम दिनोदिया" आपसे, मेरे इन अनकहे शब्दों के सफर में साथ चाहता हूं....
https://m.facebook.com/renuttam/
सारांश
दोस्तों, जिन्दगी की भागदौड़ ने बंजारा बना दिया है। वक्त किसी के साथ ज्यादा समय रूकने नहीं देता और दिल किसी को छोड़ना नहीं चाहता। बस इन्हीं उलझे हुए लम्हात को कुछ अनकहे शब्दों से सुलझाने की कोशिश कर रहा हूं और मैं "उत्तम दिनोदिया" आपसे, मेरे इन अनकहे शब्दों के सफर में साथ चाहता हूं....
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रिपोर्ट की समस्या
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