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वीर रस की कविता Jeetesh Tiwari SJT

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भ्रम पाले तुम बैठे हो कि  कश्मीर तुम्हें मिल जाएगा , जिस दिन भी गर हुआ सामना तब समझ फिर आएगा , अभी वक़्त है समझ सको तो ना भूलो औकात को, काश्मीर के चक्कर में पाकिस्तान भी हाथ से जाएगा टुकड़ों में ...

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लेखक के बारे में
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Poetry Of SJT

कुछ ज़ख्म अदृश्य हैं कैसे मरहम लगाऊ मैं । पीड़ा को लफ़्ज़ों में ढालकर मैं लिखता रहूंगा ।।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 জুন 2021
    वीर रस की शानदार, जोशीली रचना 👌👌👍👍
  • author
    07 অগাস্ট 2022
    बहुत सुंदर
  • author
    10 অগাস্ট 2019
    jordaar ,💪💪
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    06 জুন 2021
    वीर रस की शानदार, जोशीली रचना 👌👌👍👍
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    07 অগাস্ট 2022
    बहुत सुंदर
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    10 অগাস্ট 2019
    jordaar ,💪💪