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वेदना (करुण रस पर दोहा)

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मन निर्बल अब हो गया, आश्रित हुआ शरीर। कैसी है यह वेदना,कोई सुने न पीर। *** कविता झा'काव्या कवि' सादर समीक्षार्थ 🙏 ...

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लेखक के बारे में
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Kavita Jha

मन में आते भाव उथल-पुथल मचा देतें हैं मस्तिष्क में। प्रतिलिपि से जुड़ी 2020 में,पहले यहां पाठक के रूप में फिर पता चला मैं भी आसानी से लिख सकती हूं। बस यह लेखन सफर तभी से जारी है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anita Johri "Anuja"
    19 अप्रैल 2022
    हमने भी कोशिश की दोहा लिखने की पढ़ अर समीझा दीजिये
  • author
    Sulekha Chatterjee
    18 अप्रैल 2022
    जीवन के चौथे पन का सब का यही तो किस्सा है 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
  • author
    Arun rana
    18 अप्रैल 2022
    बढ़िया है।👌👌👌❤️❤️
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  • author
    Anita Johri "Anuja"
    19 अप्रैल 2022
    हमने भी कोशिश की दोहा लिखने की पढ़ अर समीझा दीजिये
  • author
    Sulekha Chatterjee
    18 अप्रैल 2022
    जीवन के चौथे पन का सब का यही तो किस्सा है 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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    Arun rana
    18 अप्रैल 2022
    बढ़िया है।👌👌👌❤️❤️