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वट वृक्ष

4.6
136

मृदुल जब भी अपने जीवन के विगत दिनों के बिषय में सोचती तो उसके मस्तिष्क में अपने पिताजी श्री विश्वरूप शर्मा जी की अनेक छोटी बड़ी सिखाई बातें बरबस स्मृति पटल पर अंकित हो आतीं।विशेषकर आज का दिन उसके ...

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लेखक के बारे में
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Madhu Dimri

अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य। कला निष्णात हिंदी,संस्कृत में व एम .एड। संगीत व साहित्य में रुचि। अपने विषयों को पढ़ाने में सुखानुभूति। कविताएं व लेखन में अप्रकाशित रचनाओं का संग्रह। अपने राज्य के विभिन्न प्राकृतिक व धार्मिक स्थलों के भ्रमण व अन्य स्थानों के देशाटन में विशेष अभिरुचि।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pushpa Nautiyal
    08 अप्रैल 2022
    लेखिका ने अपने पिता के जीवन का संघर्ष व परोपकारी स्वभाव चित्रित किया ,वही एक पितृ ऋण चुकाने के समान है ,हालांकि मात्र-पितृ ऋण से कभी कोई उऋण नहीं हो सका ,लेखिका की मनोवृति पिता के प्रति अति शीर्ष पर होगी, ऐसी मेरी विचार धारा है ,लेखिका को मेरा सहृदय नमन ।,
  • author
    gian global
    15 अप्रैल 2021
    bahut sunder prastuti.
  • author
    girish dimri
    11 मार्च 2021
    प्रेरणादायक चरित्र एवं प्रसंग।
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    Pushpa Nautiyal
    08 अप्रैल 2022
    लेखिका ने अपने पिता के जीवन का संघर्ष व परोपकारी स्वभाव चित्रित किया ,वही एक पितृ ऋण चुकाने के समान है ,हालांकि मात्र-पितृ ऋण से कभी कोई उऋण नहीं हो सका ,लेखिका की मनोवृति पिता के प्रति अति शीर्ष पर होगी, ऐसी मेरी विचार धारा है ,लेखिका को मेरा सहृदय नमन ।,
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    gian global
    15 अप्रैल 2021
    bahut sunder prastuti.
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    girish dimri
    11 मार्च 2021
    प्रेरणादायक चरित्र एवं प्रसंग।