मृदुल जब भी अपने जीवन के विगत दिनों के बिषय में सोचती तो उसके मस्तिष्क में अपने पिताजी श्री विश्वरूप शर्मा जी की अनेक छोटी बड़ी सिखाई बातें बरबस स्मृति पटल पर अंकित हो आतीं।विशेषकर आज का दिन उसके ...
अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य।
कला निष्णात हिंदी,संस्कृत में व एम .एड।
संगीत व साहित्य में रुचि।
अपने विषयों को पढ़ाने में सुखानुभूति।
कविताएं व लेखन में अप्रकाशित रचनाओं का संग्रह।
अपने राज्य के विभिन्न प्राकृतिक व धार्मिक स्थलों के भ्रमण व अन्य स्थानों के देशाटन में विशेष अभिरुचि।
सारांश
अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य।
कला निष्णात हिंदी,संस्कृत में व एम .एड।
संगीत व साहित्य में रुचि।
अपने विषयों को पढ़ाने में सुखानुभूति।
कविताएं व लेखन में अप्रकाशित रचनाओं का संग्रह।
अपने राज्य के विभिन्न प्राकृतिक व धार्मिक स्थलों के भ्रमण व अन्य स्थानों के देशाटन में विशेष अभिरुचि।
लेखिका ने अपने पिता के जीवन का संघर्ष व परोपकारी स्वभाव चित्रित किया ,वही एक पितृ ऋण चुकाने के समान है ,हालांकि मात्र-पितृ ऋण से कभी कोई उऋण नहीं हो सका ,लेखिका की मनोवृति पिता के प्रति अति शीर्ष पर होगी, ऐसी मेरी विचार धारा है ,लेखिका को मेरा सहृदय नमन ।,
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लेखिका ने अपने पिता के जीवन का संघर्ष व परोपकारी स्वभाव चित्रित किया ,वही एक पितृ ऋण चुकाने के समान है ,हालांकि मात्र-पितृ ऋण से कभी कोई उऋण नहीं हो सका ,लेखिका की मनोवृति पिता के प्रति अति शीर्ष पर होगी, ऐसी मेरी विचार धारा है ,लेखिका को मेरा सहृदय नमन ।,
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