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वासना

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.... वासन. ... वासना में डुबी लड़की बिस्तर पर लेटी जोर-जोर से आहें भरती चादर को दोनों हाथों से खिंचती हाथों को बिस्तर पर रगड़ती थोड़ा सा ऊपर की ओर उठती फिर सांसों को ...

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समीक्षा यादव
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
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    08 अप्रैल 2022
    सुमन जी, सबसे पहले मै इस रचना को , एक महिला होकर लिखने की क्षमता और साहस पर मुबारक़ बाद देना चाहता हूँ, स्वीकार करे.यौन क्रिया पर बहुत रचनाएँ पढने को मिली, सब पुरुषो द्वारा रचित थे, इस प्रतिलिपि पर इतनी बेवाक और सत्य को लिखने वाली लगता है, शायद आप पहली महिला है.संभोग को समाधि का अहसास करने और कराने की क्षमता बहुत ही कम मे है और इसकी समझ भी सबो मे नही आ सकती,,, बल्कि ऐसा कहना और सोचना सभी गंवारा नही अर सकते, तभी तो सही रचनाओं का इस विषय पर गहरा अभाव है,, आपने सही कहा यह सुख क्षणिक है और इसकी भूख कभी मिटती नहीं, मगर जिसने इसमे समाधि पाली, वो सही मे सुख नहीं आनंद मे खो गये, मगर जो समाधि नहीं अनुभूत कर सके, वो जिंदगी भर संभोग करते रह गये मगर शारीरिक वासना से उपर उठकर आत्मीक आनंद को नहीं प्राप्त कर सके.आप का यह प्रयास गौरव पूर्ण है, वैसे मै आज आपकी कयी रचनाओं को पढा और आपकी बेवाक और स्पष्ट लेखन क्षमता पर चकित रह गया,,, जिस संदर्भ मे लोग बात करना शर्म समझते है आपने खुलकर अच्छा लिखा है,,,, आपकी अन्य रचनाओं पर भी समीक्षा लिखूंगा.,,, बहुत बहुत बधाइयाँ आपको और हार्दिक शुभकामनाएं भी आदरणीया.
  • author
    Ravendra Kumar Shukla
    02 मई 2022
    very nice
  • author
    Mithlesh Rajput
    09 अप्रैल 2022
    nice
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    08 अप्रैल 2022
    सुमन जी, सबसे पहले मै इस रचना को , एक महिला होकर लिखने की क्षमता और साहस पर मुबारक़ बाद देना चाहता हूँ, स्वीकार करे.यौन क्रिया पर बहुत रचनाएँ पढने को मिली, सब पुरुषो द्वारा रचित थे, इस प्रतिलिपि पर इतनी बेवाक और सत्य को लिखने वाली लगता है, शायद आप पहली महिला है.संभोग को समाधि का अहसास करने और कराने की क्षमता बहुत ही कम मे है और इसकी समझ भी सबो मे नही आ सकती,,, बल्कि ऐसा कहना और सोचना सभी गंवारा नही अर सकते, तभी तो सही रचनाओं का इस विषय पर गहरा अभाव है,, आपने सही कहा यह सुख क्षणिक है और इसकी भूख कभी मिटती नहीं, मगर जिसने इसमे समाधि पाली, वो सही मे सुख नहीं आनंद मे खो गये, मगर जो समाधि नहीं अनुभूत कर सके, वो जिंदगी भर संभोग करते रह गये मगर शारीरिक वासना से उपर उठकर आत्मीक आनंद को नहीं प्राप्त कर सके.आप का यह प्रयास गौरव पूर्ण है, वैसे मै आज आपकी कयी रचनाओं को पढा और आपकी बेवाक और स्पष्ट लेखन क्षमता पर चकित रह गया,,, जिस संदर्भ मे लोग बात करना शर्म समझते है आपने खुलकर अच्छा लिखा है,,,, आपकी अन्य रचनाओं पर भी समीक्षा लिखूंगा.,,, बहुत बहुत बधाइयाँ आपको और हार्दिक शुभकामनाएं भी आदरणीया.
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    Ravendra Kumar Shukla
    02 मई 2022
    very nice
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    Mithlesh Rajput
    09 अप्रैल 2022
    nice