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"वर्षा ऋतु"

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देखो आई वर्षा ऋतु रिमझिम बरसने लगा है पानी चलने लगी हवा पुरवाई लगती है जानी पहचानी। बादल आते घुमड़-घुमड़ कर ज़ोर-ज़ोर पानी बरसाते प्राणियों को देते जीवन धरती की प्यास बुझाते। है ना कितनी प्यारी यह ...

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लेखक के बारे में
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आसिम बेग

स्वतंत्र लेखक, कवि, नैतिक शिक्षा शिक्षक। शैक्षिक योग्यता- B.Sc., MSW अन्य योग्यता- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) 'C' सर्टिफ़िकेट पता - मोहल्ला टेढ़ी हटिया नगर पंचायत पुरवा ज़िला उन्नाव उत्तरप्रदेश. 209825

समीक्षा
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  • author
    मंजीत कुमार
    21 जुलाई 2018
    nice
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    renu kapoor very innovative
    25 जून 2022
    nice
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    मंजीत कुमार
    21 जुलाई 2018
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    25 जून 2022
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