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वैम्पायर

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अमावस की स्याह काली रात घिर आया घनघोर अंधेरा उस पर सायं सायं की आवाज, हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा आधी रात को खूनी वैम्पायर कब्र से हो गया उठ खड़ा कदकाठी विशाल, सुदृढ़ व उस पर अजीब पहने लिबास पीने ...

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लेखक के बारे में
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Ranj...na

"मन रे तू काहे न धीर धरे "💕 "मन की सीमा रेखा का कोई ओर न छोर नील गगन के समान विस्तार है चहुं ओर" 💕

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    07 जून 2022
    बहुत बेहतरीन लिखा है आपने,,,,,
  • author
    07 जून 2022
    सुंदर ✍️👌👌👌👌👌👌👌👌
  • author
    बहुत खूब लिखा आपने 👌👌👌
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  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    07 जून 2022
    बहुत बेहतरीन लिखा है आपने,,,,,
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    07 जून 2022
    सुंदर ✍️👌👌👌👌👌👌👌👌
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    बहुत खूब लिखा आपने 👌👌👌