कस्त्वं भो कविरस्मि तत्किमु सखे क्षीणो S स्यनाहारत : धिग्देशं गुणिनो S पि दुर्गतिरियम् देशं न मामेव धिक् | पाकार्थी क्षुधितो यदैव विदधे पाकाय बुद्धिं तदा विन्ध्ये नेन्धनमम्बुधौ न सलिलं ना S न्नं धरित्रीतले || यह एक कवि और एक अजनबी के बीच की बातचीत है। अजनबी ने कवि से पूछा। कस्त्वं भो ? = आप कौन हैं? कविरस्मि = मै एक कवि हूं। तत्किमु सखे क्षीणो सि = क्यों तुम इतने कमजोर दिख रहे हो ? अ नाहारत: = खाने के लिए भोजन नहीं है । धिग्देशं ...
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या