इक रात जो ग़ज़ल के पहलू में सो गया
उसका नया मैं एक दीवाना सा हो गया !!
हसरत बहुत थी शे'र ग़ज़ल रोज़ मैं लिखूँ
फिर क़ाफ़िया रदीफ़ के शहरों में खो गया !!
~ अमितांश 'अमित'
FB-
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सारांश
इक रात जो ग़ज़ल के पहलू में सो गया
उसका नया मैं एक दीवाना सा हो गया !!
हसरत बहुत थी शे'र ग़ज़ल रोज़ मैं लिखूँ
फिर क़ाफ़िया रदीफ़ के शहरों में खो गया !!
~ अमितांश 'अमित'
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