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वैभवी और नाव की दुनिया

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एक 6 वर्षीय बच्ची वैभवी की एक बरसात के दिन और उसकी कागज़ के नाव के मनमोह लेने वाले क्षण की कहानी है।

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लेखक के बारे में
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अमित कुमार

इक रात जो ग़ज़ल के पहलू में सो गया उसका नया मैं एक दीवाना सा हो गया !! हसरत बहुत थी शे'र ग़ज़ल रोज़ मैं लिखूँ फिर क़ाफ़िया रदीफ़ के शहरों में खो गया !! ~ अमितांश 'अमित' FB- https://www.facebook.com/profile.php?id=100080372330929&mibextid=ZbWKwL

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Seema Arya "सीमा"
    16 జులై 2020
    बहुत अच्छी कहानी लिखी है आपने 👌सच में महानगरों में पले बढ़े बच्चे इन अनमोल पलों से वंचित रह जाते हैं...
  • author
    Abhishek kumar
    13 సెప్టెంబరు 2020
    bacho k bachpan m khud ko dekhna bahut achha lagta h jaise lagta h khud bache ban gae
  • author
    16 జులై 2020
    waah very nice👍👏
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  • author
    Seema Arya "सीमा"
    16 జులై 2020
    बहुत अच्छी कहानी लिखी है आपने 👌सच में महानगरों में पले बढ़े बच्चे इन अनमोल पलों से वंचित रह जाते हैं...
  • author
    Abhishek kumar
    13 సెప్టెంబరు 2020
    bacho k bachpan m khud ko dekhna bahut achha lagta h jaise lagta h khud bache ban gae
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    16 జులై 2020
    waah very nice👍👏