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वाह , क्या मस्त माल हैं ?

4.2
25

तेरी मस्त जवानी देखे  , हर कोई आशिक बनता हैं  । खुदको तू शहजादी समझे  , फायदा हर कोई उठाता हैं  ।। ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा - M.A (sociology) , osmania university सारस्वत सम्मान - विद्यावाचस्पति " भारत गौरव " उपाधि प्राप्त पांच पुस्तकों के लेखक मेरा हैदराबाद में ही निवास है । ईश्वर ने हमे प्रकृति दी , हमे इस पृथ्वी पर भेजा । क्यों नहीं हम , इस प्रकृति सम्मत जीवन का पूर्ण आनद ले ? शब्दों की अभिव्यक्ति ही , इंसान की पहचान बनाती है ।

समीक्षा
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    Awadhesh Kumar
    09 नवम्बर 2022
    यह सच है, प्राकृतिक व्यवस्था है, फिर भी संतुलन की आवश्यकता तो है । नहीं तो वह भी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ही है।
  • author
    baldev singh verma verma
    09 नवम्बर 2022
    वाह वाह बहुत खूब सूरत प्रस्तुति।✍️✍️✍️👍👍👍👌👌
  • author
    Suresh Upadhyay
    09 नवम्बर 2022
    mast javani ko khub likha meri to padhna chhiye mam
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    Awadhesh Kumar
    09 नवम्बर 2022
    यह सच है, प्राकृतिक व्यवस्था है, फिर भी संतुलन की आवश्यकता तो है । नहीं तो वह भी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ही है।
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    baldev singh verma verma
    09 नवम्बर 2022
    वाह वाह बहुत खूब सूरत प्रस्तुति।✍️✍️✍️👍👍👍👌👌
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    Suresh Upadhyay
    09 नवम्बर 2022
    mast javani ko khub likha meri to padhna chhiye mam