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वह चालाक चिड़िया

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चिड़िया अब मनभावन हो गई, बैठती किसी डाल पर, ध्यान कहीं और ले गई, वह चालाक चिड़िया। खिलते हैं कमल पुष्प, इस उपवन में, बैठती है जहां जिस डाली में, अक्सर ध्यान रखती वह किसी और लक्ष्य पर, वह होती ...

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लेखक के बारे में
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Yaduvansh Sudhir

🌷मुझे इतना यकीन है कि वो अन्दर ही होगी।🌷 🌷शांत घर के उस कोने मे फफक रही होगी।।🌷 🌷जब तक नही मिलती मुझे सुकून न मिलेगा।🌷 🌷जब वो मिलेगी मुझसे सुकून से रहने न देगी।।🌷 🌷वो दूरी बहुत है मै उसे तय न कर पाऊगा।🌷 🌷फिर भी वो मुझे जमीन मे रहने न देगी।।🌷 🌷जानती है की कुछ पल की वह रोशनी है।🌷 🌷मेरे जीवन की वह एक स्थिर चान्दनी है।।🌷 🌷वह बहती रहती है चांद पर तो हमेशा।🌷 🌷वहां वह उसकी नही है यह जानती है।।🌷

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    M Y "V"
    23 अगस्त 2020
    ✍️✍️👌👌👌
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