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वफ़ा का खंजर

4.0
6482

1 जयगढ़ और विजयगढ़ दो बहुत ही हरे-भ्ररे, सुसंस्कृत, दूर-दूर तक फैले हुए, मजबूत राज्य थे। दोनों ही में विद्या और कलाद खूब उन्न्त थी। दोनों का धर्म एक, रस्म-रिवाज एक, दर्शन एक, तरक्की का उसूल एक, जीवन मानदण्ड एक, और जबान में भी नाम मात्र का ही अन्तर था। जयगढ़ के कवियों की कविताओं पर विजयगढ़ वाले सर धुनते और विजयगढ़ी दार्शनिकों के विचार जयगढ़ के लिए धर्म की तरह थे। जयगढ़ी सुन्दरियों से विजयगढ़ के घर-बार रोशन होते थे और विजयगढ़ की देवियां जयगढ़ में पुजती थीं। तब भी दोनों राज्यों में ठनी ही नहीं ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Binay Kumar
    19 सितम्बर 2021
    मुंशी प्रेमचंद के किर्ति में मैं कुछ लिखूं . सूर्य को दीप दिखाने जैसा धिरिष्टा होगी।
  • author
    Vivek Singh
    02 अप्रैल 2019
    ये कहानी लिखी कब गई है? आधुनिक परिप्रेक्ष्य मे इसकी प्रासंगिकता अचंभित करती है।
  • author
    पंकज' चौहान
    17 नवम्बर 2017
    लगता नहीं ये प्रेमचंद जी की कहानी है।
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    Binay Kumar
    19 सितम्बर 2021
    मुंशी प्रेमचंद के किर्ति में मैं कुछ लिखूं . सूर्य को दीप दिखाने जैसा धिरिष्टा होगी।
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    Vivek Singh
    02 अप्रैल 2019
    ये कहानी लिखी कब गई है? आधुनिक परिप्रेक्ष्य मे इसकी प्रासंगिकता अचंभित करती है।
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    पंकज' चौहान
    17 नवम्बर 2017
    लगता नहीं ये प्रेमचंद जी की कहानी है।