हवा की सरसराहट कानों में रस घोलती है मानो प्रकृति हौले से हमसे कुछ कहती है जैसे कह रही….. अमृत कलश से भरी,वात्सल्य से भीगी ममता का आँचल पसारती माता हूँ मैं... स्निग्ध रश्मियाँ हाथ बढ़ा रक्षा सूत्र ...
M.sc. L.L.B. हूँ ।शब्दों से खेलना पसंद करती हूँ । अतीत और वर्तमान के आईने को अनुभव के पत्थरों से तोड़ती और उन्ही किरचों को चुन उन्हें शब्दरूप देना मेरा परिचय है।
सारांश
M.sc. L.L.B. हूँ ।शब्दों से खेलना पसंद करती हूँ । अतीत और वर्तमान के आईने को अनुभव के पत्थरों से तोड़ती और उन्ही किरचों को चुन उन्हें शब्दरूप देना मेरा परिचय है।
रिपोर्ट की समस्या
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