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वादा करो कि वादा निभाओगे

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वादा करो कि वादा निभाओगे दोस्ती का वादा करके भूल तो‌ ना जाओगे कहीं इंतजार करते रह जायें सुबह से शाम हो जाये रुखसती  की घंटी बज जाये हाथ बढ़ाया दोस्ती का यह आओ थाम लो गले से‌ लग जाओ अशोक ...

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लेखक के बारे में
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Ashok Kansal

Nothing to show.Writing is not my profession it has become my hobby & passion .

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shashi Mahajan
    26 নভেম্বর 2023
    बहुत सुंदर और सार्थक रचना
  • author
    Satyavrata Sharma
    26 নভেম্বর 2023
    आस विश्वास बने रहें।
  • author
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  • author
    Shashi Mahajan
    26 নভেম্বর 2023
    बहुत सुंदर और सार्थक रचना
  • author
    Satyavrata Sharma
    26 নভেম্বর 2023
    आस विश्वास बने रहें।