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उस पार की असलियत

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मर्यादाएँ मै भी जानती हुँ और तुम भी ......... अधिकार मै भी जानती हूँ और तुम भी।। हया का एक झीना सा परदा है बीच मेँ ..,..... वरना उस पार की असलियत मै भी जानती हूँ और....... तुम भी ।। क्या खूब साझेदारी ...

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लेखक के बारे में
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दीक्षा धनक

शिक्षा- (एम.ए) सी.एम.पी डिग्री कॉलेज सम्बद्ध इलाहाबाद विश्वविद्यालय

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    Rahul Gupta
    10 जून 2022
    ये कविता किसी विद्रोह की सुगबुगाहट सी प्रतीत हो रही है!
  • author
    Girish Narayan Pandey Pandey
    01 नवम्बर 2018
    वास्तविकता का मार्मिक चित्रण ।
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    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
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    Rahul Gupta
    10 जून 2022
    ये कविता किसी विद्रोह की सुगबुगाहट सी प्रतीत हो रही है!
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    Girish Narayan Pandey Pandey
    01 नवम्बर 2018
    वास्तविकता का मार्मिक चित्रण ।