'पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया !' सवाल ये नहीं है। सवाल यह है कि "क्या पढ़ेगा इंडिया और किस ओर बढ़ेगा इंडिया' और इसकी ज़िम्मेदारी है शिक्षको पर। कक्षा में आकर उषा मैडम ने अपना बैग भी नहीं रखा था कि ...
लेकिन आज के दौर में सबसे ज्यादा ज्यादती और नाइंसाफी शिक्षकों के साथ ही होती है साथ ही यह भी सच है इसके लिए शिक्षकों का एक वर्ग भी किसी न किसी तरह जिम्मेदार है
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