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उसे मुखड़ा छिपाना आ गया है

4.5
480

उसे मुखड़ा छिपाना आ गया है मुझे पर्दा उठाना आ गया है। चलाता तीर वह करके अँधेरा, मुझे दीया दिखाना आ गया है। समझ आता नहीं,उसने कहा जो, मुझे आशय बताना आ गया है। लुटी है नाव अपनों से अभी तक लगा हरदम ...

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लेखक के बारे में
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मनन सिंह
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    आदित्य तोमर "AD"
    26 ஜூலை 2018
    बहुत ही सुंदर लिखा है।
  • author
    rashi siddique
    04 ஆகஸ்ட் 2020
    kya bt very nice 😊
  • author
    ONKAR PATLE
    27 ஏப்ரல் 2020
    बहुत बढ़िया सर् जी
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  • author
    आदित्य तोमर "AD"
    26 ஜூலை 2018
    बहुत ही सुंदर लिखा है।
  • author
    rashi siddique
    04 ஆகஸ்ட் 2020
    kya bt very nice 😊
  • author
    ONKAR PATLE
    27 ஏப்ரல் 2020
    बहुत बढ़िया सर् जी