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उसकी मासूमियत गजल एक कोशिश

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उसने मासूमियत से लूटा हमको हम थे जो लुटते चले गए ना सुबह देखी ना देखी शाम हमने उनकी आखों से पीते चले गए फिर एक शाम ऐसी भी आई हम बाहर से उनको देखते रह गए अपनी डगर खोजते खोजते उनके सपनों में खो गए नीद ...

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लेखक के बारे में
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Rakesh Chaurasia

मै राइटर नहीं हूं मै प्रतिलिपि पर सिर्फ पढ़ने के लिए आया था। परंतु प्रतिलिपि पर कुछ लोगो के द्वारा कहने पर लिखना शुरू किया। मै हर तरीके की कहानियां और कविताएं पढ़ना पसंद करता हूं। और लिखता हूं

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    डिम्पल प्रजापत
    13 सितम्बर 2022
    सुंदर अभिव्यक्ति आपकी 🌺🌷🌺🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🌷🍀🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷 बेहतरीन रचना🌸🌷🌸🌷🌸🌷🌸👌🌷🌷🌸🌸🌷🌷👌🌷👌🌷🌸🌷🌸🌷👌🌷🌸🌷🌸🌸🌷🌸🌷🌸🌷🌸🌷👌🌷
  • author
    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    13 सितम्बर 2022
    nice efforts. जय श्रीकृष्ण।
  • author
    दीपक सिंह
    13 सितम्बर 2022
    nice 👌
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    डिम्पल प्रजापत
    13 सितम्बर 2022
    सुंदर अभिव्यक्ति आपकी 🌺🌷🌺🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🌷🍀🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷 बेहतरीन रचना🌸🌷🌸🌷🌸🌷🌸👌🌷🌷🌸🌸🌷🌷👌🌷👌🌷🌸🌷🌸🌷👌🌷🌸🌷🌸🌸🌷🌸🌷🌸🌷🌸🌷👌🌷
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    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    13 सितम्बर 2022
    nice efforts. जय श्रीकृष्ण।
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    दीपक सिंह
    13 सितम्बर 2022
    nice 👌