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उस पार प्रिये तुम हो

4.7
24019

कर्नल गौरव चौहान के जन्म दिन पर हर साल इसी तरह की दावत दी जाती है| जब से वे फौज से रिटायर हुए हैं और सैनिक नगर की अपनी कोठी में आये हैं| अब वे सत्तर के हो चुके हैं| हालाँकि डायबिटीज उनकी रग-रग में ...

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लेखक के बारे में

संतोष श्रीवास्तव 1977 से निरंतर लेखन कहानी,उपन्यास,कविता,स्त्री विमर्श,संस्मरण,लघुकथा,साक्षात्कार,आत्मकथा की अब तक 27 किताबे प्रकाशित। देश विदेश के मिलाकर कुल 28 पुरस्कार मिल चुके है। राजस्थान विश्वविद्यालय से पीएचडी की मानद उपाधि। "मुझे जन्म दो माँ" स्त्री के विभिन्न पहलुओं पर आधारित पुस्तक रिफरेंस बुक के रुप में विभिन्न विश्वविद्यालयों में सम्मिलित। संतोष जी की 6 पुस्तकों पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से एम फिल हो चुका है । तथा अब तक सात पीएचडी हो चुकी है। कहानी लघुकथा एवं संस्मरण भारत के विभिन्न विद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में कोर्स में लगे हैं। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्व भर के प्रकाशन संस्थानों को शोध एवं तकनीकी प्रयोग( इलेक्ट्रॉनिक्स )हेतु देश की उच्चस्तरीय पुस्तकों के अंतर्गत "मालवगढ़ की मालविका " उपन्यास का चयन विभिन्न रचनाओं के अनुवाद मराठी,ओडिया ,उर्दू ,पंजाबी,छत्तीसगढ़ी,तमिल,तेलुगू,मलयालम अँग्रेज़ी, गुजराती, बंगाली में हो चुके हैं। 31 देशों की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्रा। मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति एवं हिंदी भवन न्यास द्वारा वर्ष 2024 से संतोष श्रीवास्तव कथा सम्मान की स्थापना। मोबाइल नंबर 9769023188 ईमेल kalamkar.santosh@,Gmail.com

समीक्षा
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    Prafulla Pawar
    04 ನವೆಂಬರ್ 2016
    कौन कहता है इश्क़ में बस इजहार होता है, कौन कहता है इश्क़ में बस इन्कार होता है, तन्हाई को तुम बेबसी का नाम न दो, क्योंकि इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतजार होता है|
  • author
    Radha manish Vyas
    03 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    आपकी इस रचना की तारीफ में मेरे पास शब्द ही नही है,प्रेम का ऐसा अलौकिक रूप मैंने आजतक न देखा न सुना न ही पढ़ा,कहानी के अंत में आंखे छलक पड़ी, क्या में कभी अपने जीवन काल में इस तरह के प्रेम को महसूस कर पाउंगी???
  • author
    सचिन तौमर
    02 ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 2018
    प्रेम की इस अदभुत कथा के लिए शब्द ही नही है, अनमोल लेखनी और विचारों का अलौकिक संस्मरण सी है ये कहानी। आपकी लेखनी और आपके अंतःमन को प्रणाम !!!!!💐
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    Prafulla Pawar
    04 ನವೆಂಬರ್ 2016
    कौन कहता है इश्क़ में बस इजहार होता है, कौन कहता है इश्क़ में बस इन्कार होता है, तन्हाई को तुम बेबसी का नाम न दो, क्योंकि इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतजार होता है|
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    Radha manish Vyas
    03 ಫೆಬ್ರವರಿ 2021
    आपकी इस रचना की तारीफ में मेरे पास शब्द ही नही है,प्रेम का ऐसा अलौकिक रूप मैंने आजतक न देखा न सुना न ही पढ़ा,कहानी के अंत में आंखे छलक पड़ी, क्या में कभी अपने जीवन काल में इस तरह के प्रेम को महसूस कर पाउंगी???
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    सचिन तौमर
    02 ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 2018
    प्रेम की इस अदभुत कथा के लिए शब्द ही नही है, अनमोल लेखनी और विचारों का अलौकिक संस्मरण सी है ये कहानी। आपकी लेखनी और आपके अंतःमन को प्रणाम !!!!!💐