क्षत्रिय समाज की एक गौरवशाली प्रतिनिधि। व्यक्तित्व में राजवंशीय गरिमा और आधुनिक सोच।
लेखन, गायन, चित्रकला और यात्रा करना उनकी आत्मा के सबसे प्रिय माध्यम हैं, जिनके ज़रिए वे अपने भीतर की दुनिया को जानती और दुनिया से जुड़ती हैं। हर शब्द में संवेदना, हर रंग में कल्पना, हर धुन में भावना और हर यात्रा में अनुभव।
गुजराती, राजस्थानी, हिंदी, मराठी और अंग्रेज़ी, भाषाओं का ज्ञान रखने वाली राजनंदिनी के संवाद को समृद्ध बनाती हैं, बल्कि विविध संस्कृतियों से उनका जुड़ाव भी दर्शाती हैं। यही है राजनंदिनी का जीवन-संगीत।
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