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उपकार

4.5
630

सावन का महीना  है , मौसम भी अपने  रूआब पर है , रह रह कर वर्षा की बूंदे अपनी चंचलता दीखा रही है , अपने मकान में आगे बरामदे  में कंचन बैठे बैठे अपने गीले बालों को सूखा रही है , क्योंकि रविवार का ...

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लेखक के बारे में
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Bandana Singh

एक चाहत संतुष्टि प्राप्त करने की , जो साहित्य के सान्निध्य से सम्भव है । ■वन्दना सिंह -जन्म वाराणसी, ■शिक्षा -एम ॰ ए (समाज शास्त्र ) प्रकाशित रचनाए --सारी कविताएं केवल प्रतिलिपि पर स्व -प्रकाशित ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    संतोष नायक
    30 जून 2019
    कहानी अच्छी लगी। कंचन और पंडिताइन का' उपकार ' करने का नया तरीका पसंद आया।
  • author
    लीना झा चौधरी
    10 अप्रैल 2020
    स्त्री के हालात बहुत बदले नहीं हैं अभी भी कुछ मामलों में।बहुत सुंदर चित्रण।
  • author
    Sandhya Gupta
    02 अगस्त 2021
    शीर्षक को सार्थक करती हुई रचना
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  • author
    संतोष नायक
    30 जून 2019
    कहानी अच्छी लगी। कंचन और पंडिताइन का' उपकार ' करने का नया तरीका पसंद आया।
  • author
    लीना झा चौधरी
    10 अप्रैल 2020
    स्त्री के हालात बहुत बदले नहीं हैं अभी भी कुछ मामलों में।बहुत सुंदर चित्रण।
  • author
    Sandhya Gupta
    02 अगस्त 2021
    शीर्षक को सार्थक करती हुई रचना