गुलशन नंदा के अधिकांश उपन्यासों में प्रेम, मिलन-विरह, धोखा-कपट, मज़बूरियाँ और इनसे उत्पन्न हुए मानवीय भावों-मूल्यों की अभिव्यक्ति ही प्रमुख थी। आंतरिक पारिवारिक रिश्ते, वर्गभेद का मायाजाल, ...
मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।
सारांश
मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।
गुलशन नंदा जी के लोकप्रिय साहित्य की संपूर्ण जानकारी आपने अपने लेख में समाहित की है।उस सब को पढ़ कर पुरानी यादें ताज़ा हो गई।हर बार सफ़र करते हुए उनके एक एक करके की उपन्यास पढ़े। और जब उन पर आधारित मूवी आती थी तो वह भी बहुत शौक से देखीं।वह दिन भी क्या दिन थे।
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गुलशन नंदा जी के लोकप्रिय साहित्य की संपूर्ण जानकारी आपने अपने लेख में समाहित की है।उस सब को पढ़ कर पुरानी यादें ताज़ा हो गई।हर बार सफ़र करते हुए उनके एक एक करके की उपन्यास पढ़े। और जब उन पर आधारित मूवी आती थी तो वह भी बहुत शौक से देखीं।वह दिन भी क्या दिन थे।
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