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उन्हें शौक़ - ए - इबादत भी है

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उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है और गाने की आदत भी निकलती हैं दुआऐं उनके मुंह से ठुमरियाँ होकर तअल्लुक़ आशिक़-ओ-माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहे बीबी मियाँ होकर न थी मुतलक़ तव्क़्क़ो ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    विनीता मिश्रा
    25 अक्टूबर 2019
    लाजवाब
  • author
    MAHESH CHAND Sharma
    20 जुलाई 2021
    गज़ब की शायरी है जनाब
  • author
    Raja Diwakar
    01 नवम्बर 2023
    bahut badhiya
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    विनीता मिश्रा
    25 अक्टूबर 2019
    लाजवाब
  • author
    MAHESH CHAND Sharma
    20 जुलाई 2021
    गज़ब की शायरी है जनाब
  • author
    Raja Diwakar
    01 नवम्बर 2023
    bahut badhiya