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ऊंची दुकान फीका पकवान

4.8
79

शहर के अमीरों में गिनती होती थी सिंहलसाहब की पुश्तैनी अमीर तो थे ही,साथ ही पढ़ लिख कर इंजीनियर भी बन गए थे।किस्मत से नौकरी भी पी.डब्ल्यू.डी.विभाग में लग गई थी।पदोन्नत हो कर चीफ इंजीनियर के पद तक पहुंच ...

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लेखक के बारे में
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Anuradha Mishra

मैं गृहिणी हूँ।लेखन में रुचि है।सामाजिक विषयों पर लेखन पसंद है।एक उपन्यास, हम कैदी जनम के, तथा एक कविता संग्रह अश्रुधारा. प्रकाशित हो चुका है। समाज सेवा में भी रुचि है अतः लायंस क्लब इंटरनेशनल में सदस्यता भी ले रखी है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    noopur shrivastava
    16 दिसम्बर 2020
    जब तक पैसों के कुछ अंश का दान जरुरतमंद लोगों को न किया जाए तब तक सच में ऊँची दुकान के पकवान फीके ही होते हैं।
  • author
    23 नवम्बर 2020
    इतना पैसा होने पर भी नौकरो की तनख्वाह काट लेते सिंघल साहब कैसे धनिक सच ऊँचे लोग फीके पकवान शानदार कहानी 👌👌👌👌✍️
  • author
    Jyoti Bajpai
    23 नवम्बर 2020
    आपने सच लिखा, हकीकत को बयां करती बहुत सुन्दर कहानी😊
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    noopur shrivastava
    16 दिसम्बर 2020
    जब तक पैसों के कुछ अंश का दान जरुरतमंद लोगों को न किया जाए तब तक सच में ऊँची दुकान के पकवान फीके ही होते हैं।
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    23 नवम्बर 2020
    इतना पैसा होने पर भी नौकरो की तनख्वाह काट लेते सिंघल साहब कैसे धनिक सच ऊँचे लोग फीके पकवान शानदार कहानी 👌👌👌👌✍️
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    Jyoti Bajpai
    23 नवम्बर 2020
    आपने सच लिखा, हकीकत को बयां करती बहुत सुन्दर कहानी😊