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ऊँचे पहाड़ों के अंचल में

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(1) जेल के कैदी जेल को जेल और जेल के बाहर के स्‍थान को 'दुनिया' के नाम से पुकारते हैं। इसी प्रकार पहाड़ के रहने वाले लोग अपने देश को 'पहाड़' और नीचे के देश को 'देश' के नाम से पुकारते हैं। या, यों ...

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लेखक के बारे में

जन्म : 26 अक्टूबर, 1890, अतरसुइया, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) भाषा : हिंदी विधाएँ : पत्रकारिता, निबंध, कहान मुख्य कृतियाँ गणेशशंकर विद्यार्थी संचयन (संपादक - सुरेश सलिल) संपादन : कर्मयोगी, सरस्वती, अभ्युदय, प्रताप निधन 25 मार्च, 1931 कानपुर

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Alok Pandey
    14 जून 2019
    वाह आजादी के पहले का यात्रा संस्मरण। देश-धर्म के प्रति विचारों ने मन को झकझोर कर रख दिया।
  • author
    SHARMA FAMILY
    05 सितम्बर 2017
    बहुत अच्छे ढंग से पहाड़ को दर्शाया है। धन्यवाद
  • author
    Murli Ram "चंद्रवंशी"
    13 जनवरी 2022
    दिल और दिमाग को झकझोर देने वाली रचना है । पहाड़ों में पसरी गरीबी, लाचारी और बेबसी का सजीव वर्णन। पहाड़ वासियों के ऐसी दुर्दशा के कारण मैं पहाड़ों की सुंदरता को कभी इंज्वाय नहीं कर पाया।
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    Alok Pandey
    14 जून 2019
    वाह आजादी के पहले का यात्रा संस्मरण। देश-धर्म के प्रति विचारों ने मन को झकझोर कर रख दिया।
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    SHARMA FAMILY
    05 सितम्बर 2017
    बहुत अच्छे ढंग से पहाड़ को दर्शाया है। धन्यवाद
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    Murli Ram "चंद्रवंशी"
    13 जनवरी 2022
    दिल और दिमाग को झकझोर देने वाली रचना है । पहाड़ों में पसरी गरीबी, लाचारी और बेबसी का सजीव वर्णन। पहाड़ वासियों के ऐसी दुर्दशा के कारण मैं पहाड़ों की सुंदरता को कभी इंज्वाय नहीं कर पाया।