pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

उम्रदराज़ प्यार

3.9
1817

हर बार मिली बेखबर निगाहें और हर बार टकराई जिद फिर क्या बदल गयी राहें , फेर कर निगाहें मगर मुस्कुराता रहा अथाह , गहरा , प्रघाढ़ , उम्रदराज़ प्यार बिलावजह की बुलबुले सी तुनकमिजाजी पर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मैं उज्जैन की रहने वाली हूँ ,मेरे माता पिता का नाम श्री रमेश भावसार और श्रीमती शकुंतला भावसार है। मैंने जावरा पॉलिटेक्निक से इलेक्ट्रिकल विषय में डिप्लोमा व , साहित्य में रूचि होने के कारण मैंने हिंदी साहित्य में पार्ट टाइम एम.ए. भी किया है। फ़िलहाल कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत हूँ। लेखन कार्य शौकिया तौर पर करती हूँ। मुझे पढ़ना बहुत पसंद है , वैसे ज़्यादातर मुझे ग़ज़लें पढ़ने का शौक है। बशीर साब और दुष्यंतकुमार मेरे पसंदीदा शायर हैं। बाकी मुझे सबकुछ पढ़ना अच्छा लगता है। जो भी दिल को छू जाए , वो मेरा पसंदीदा हो जाता है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    Kumod Ranjan
    02 जून 2022
    वर्तमान की वास्तविकता को आईना दिखाता हुआ उम्र दराज प्यार केगहरे शब्द
  • author
    29 सितम्बर 2018
    मस्त ..खूप छान 👍👍
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    Kumod Ranjan
    02 जून 2022
    वर्तमान की वास्तविकता को आईना दिखाता हुआ उम्र दराज प्यार केगहरे शब्द
  • author
    29 सितम्बर 2018
    मस्त ..खूप छान 👍👍