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"उल्लू बनाया बड़ा मजा आया"

4.9
36

न वहां धूप है न ही वहां छाव ऐसा है वो भूतों का गॉव । अंधेरा ही अंधेरा छाया है , हर तरफ अनजान सा साया है। हर साए से निकलती एक आग है , न उनके सिर है न ही है पाँव ऐसा ...

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लेखक के बारे में
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Vishnu Jaipuria

शब्दों के समंदर में मेरी एक छोटी सी नाव है, जाना तो उस पार है, ये कलम ही मेरी पतवार है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    24 जुलाई 2021
    भूतों का अच्छा शब्द चित्र खींच दिया आपने ।
  • author
    Balram Soni
    24 जुलाई 2021
    बहुत बड़िया रचना आपकी जय श्री राधे कृष्णा🙏
  • author
    R.K shrivastava
    24 जुलाई 2021
    वाह ! भूतो के गाँव का अच्छा शब्व चित्र !
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    24 जुलाई 2021
    भूतों का अच्छा शब्द चित्र खींच दिया आपने ।
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    Balram Soni
    24 जुलाई 2021
    बहुत बड़िया रचना आपकी जय श्री राधे कृष्णा🙏
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    R.K shrivastava
    24 जुलाई 2021
    वाह ! भूतो के गाँव का अच्छा शब्व चित्र !