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उलझे बालो वाली लड़की

4.3
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शाम के ५ बज रहे थे उसी वक़्त मेरा मोबाइल बज उठा सामने विक्रम था हमेशा की तरह वो प्यार से बोला जानेमन क्या कर रही हो मैंने कहा कुछ नहीं बस अब ऑफिस से निकल कर PG जाउंगी तुम क्या आ रहे हो और सामने से ...

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लेखक के बारे में
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रीत शर्मा

मैं धन्यवाद देना चाहती हु पाठको का आपके विचार और प्रशंसा भरे शब्द हिम्मत बढ़ाते है और अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करते है ! मैं क्षमाप्राथी हु कि आपके संदेशो का जवाब नहीं दे पाती - आप सब से निवेदन है कृपया कर के मुझे Twitter follow करे - @Romareet1 - हमारी बातचीत का माध्यम - इंतजार रहेगा

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग
  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jatin Bhaskar
    23 మే 2018
    सुखान्त हुआ यही इस कहानी की खूबसूरती है।
  • author
    कोमल राजपूत
    14 ఫిబ్రవరి 2018
    last me aacha msg Diya h👏👏👏
  • author
    Sheetal Sharma
    03 ఫిబ్రవరి 2018
    nice sotryllikeit
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  • author
    Jatin Bhaskar
    23 మే 2018
    सुखान्त हुआ यही इस कहानी की खूबसूरती है।
  • author
    कोमल राजपूत
    14 ఫిబ్రవరి 2018
    last me aacha msg Diya h👏👏👏
  • author
    Sheetal Sharma
    03 ఫిబ్రవరి 2018
    nice sotryllikeit

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