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उजाला

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अंधेरा बेशक उनके घरों में होगा ,   जो दिया नहीं जलाते हैं । ना घबराओ ये दौर अंधेरों का है ,      तो क्या हुआ । कल सवेरा भी होगा। आज ये पल इनका है ; तो कल वक्त तेरा भी होग। बुझ गई है आग अगर तो , फिर ...

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लेखक के बारे में
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Ajahar Rahaman

कुछ तो मेरी आंखें प्यासी हैं , कुछ तो मेरा हिय अभिलाषी हैं , आर जे मुझ में से चला गया है बसंत, बस अब तो केवल कविता ही बाकी है। शायर रहूंगा इंकलाब आने तक । अजहर रहमान अध्यापक आर जे माही कवि शायर

समीक्षा
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    30 जुलाई 2021
    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
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    30 जुलाई 2021
    बहुत अच्छे
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    30 जुलाई 2021
    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
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    30 जुलाई 2021
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