अंधेरा बेशक उनके घरों में होगा , जो दिया नहीं जलाते हैं । ना घबराओ ये दौर अंधेरों का है , तो क्या हुआ । कल सवेरा भी होगा। आज ये पल इनका है ; तो कल वक्त तेरा भी होग। बुझ गई है आग अगर तो , फिर ...
कुछ तो मेरी आंखें प्यासी हैं ,
कुछ तो मेरा हिय अभिलाषी हैं ,
आर जे मुझ में से चला गया है बसंत,
बस अब तो केवल कविता ही बाकी है।
शायर रहूंगा इंकलाब आने तक ।
अजहर रहमान अध्यापक
आर जे माही कवि शायर
सारांश
कुछ तो मेरी आंखें प्यासी हैं ,
कुछ तो मेरा हिय अभिलाषी हैं ,
आर जे मुझ में से चला गया है बसंत,
बस अब तो केवल कविता ही बाकी है।
शायर रहूंगा इंकलाब आने तक ।
अजहर रहमान अध्यापक
आर जे माही कवि शायर
रिपोर्ट की समस्या
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