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उधार की दुल्हन

4.7
137940

दहकते गर्म तवे से अधपकी रोटी उठाने के लिए छुहारी बाई ने अंगूठे से लगी दो ऊंगलियों को जैसे ही तवे पर रखा, मुंह से दर्दभरी सिसकारी निकली। ऊंगलियां रोटी के बजाय तवे से जा चिपकी थीं। कराहती छुहारी की ...

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लेखक के बारे में

लेखक के बारे मे- ब्रह्मवीर सिंह : प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में समान रूप से सक्रिय। दैनिक भास्कर भोपाल से पत्रकारिता का प्रारंभ। सहारा समय, दिल्ली एवं रायपुर, छत्तीसगढ़ में कार्यरत। वर्तमान में राष्ट्रीय दैनिक हरिभूमि, रायपुर में संपादक-समन्वयक एवं आईएनएच न्यूज छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के संपादक के उत्तरदायित्व का निर्वहन। प्रकाशित उपन्यास: दंड का अरण्य। प्रकाशित पुस्तक: अभिमत। कई कहानियां प्रकाशित हैं।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dharmistha Vaishnaw
    21 एप्रिल 2021
    बेहतरीन रचना| स्त्रियों के बिकने, खरीदने और इस तरह की कई कहानी पढी है पर ये बहुत ही अलग है| इस भावना भावना से चार जिन्दगी संवर गई|
  • author
    Mayank Gurha
    18 ऑक्टोबर 2018
    सुपर से भी ऊपर
  • author
    Yashwant Gohil
    25 फेब्रुवारी 2019
    Behad khoobsurati se bhawnaon Jo lafzon me piroya hai..
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    Dharmistha Vaishnaw
    21 एप्रिल 2021
    बेहतरीन रचना| स्त्रियों के बिकने, खरीदने और इस तरह की कई कहानी पढी है पर ये बहुत ही अलग है| इस भावना भावना से चार जिन्दगी संवर गई|
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    Mayank Gurha
    18 ऑक्टोबर 2018
    सुपर से भी ऊपर
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    Yashwant Gohil
    25 फेब्रुवारी 2019
    Behad khoobsurati se bhawnaon Jo lafzon me piroya hai..