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उधड़ा हुआ स्वेटर

4.6
35932

यों तो उस पार्क को लवर्स पार्क कहा जाता था पर उसमें टहलने वाले ज्यादातर लोगों की गिनती वरिश्ठ नागरिकों में की जा सकती थी । युवाओं में अलस्सुबह उठने, जूते के तस्मे बांधने और दौड़ लगाने का न धीरज था, न ...

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लेखक के बारे में
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सुधा अरोड़ा

जन्म - अविभाजित लाहौर (अब पष्चिमी पाकिस्तान) में 4 अक्टूबर 1946। 1947 में कलकत्ता । षिक्षा - स्कूल से लेकर एम.ए. तक की षिक्षा कलकत्ता में । 1962 में श्री शिक्षायतन स्कूल से प्रथम श्रेणी में हायर सेकेण्डरी । 1965 में श्री शिक्षायतन काॅलेज से बी.ए.आॅनर्स और 1967 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी साहित्य) गोल्ड मेडलिस्ट। दोनों बार प्रथम श्रेणी में प्रथम । कार्यक्षेत्र - 1965 -1967 तक कलकत्ता विष्वविद्यालय की पत्रिका ‘‘प्रक्रिया’’ का संपादन . 1969 से 1971 तक कलकत्ता के दो डिग्री काॅलेजों -- श्री शिक्षायतन और आशुतोष काॅलेज के प्रातःकालीन महिला विभाग जोगमाया देवी काॅलेज में अध्यापन . 1977 - 1978 के दौरान कमलेश्वर के संपादन में ‘कथायात्रा’ में सहयोगी संपादक . 1993 - 1999 तक महिला संगठन ‘‘हेल्प’’ से संबद्ध . कई कार्यशालाओं में भागीदारी , सम्प्रति - मुंबई में स्वतंत्र लेखन प्रकाशन - पहली प्रकाषित कहानी ‘मरी हुई चीज़’ ज्ञानोदय सितम्बर 1965 में । पहली लिखित कहानी ‘एक सेंटीमेंटल डायरी की मौत‘ सारिका मार्च 1966 में प्रकाशित । पहला कहानी संग्रह ‘‘बग़ैर तराशे हुए’’- 1967 । कहानी संग्रह - ऽ बगैर तराशे हुए (1967) - लोकभारती प्रकाषन , इलाहाबाद ऽ यु़द्धविराम (1977) - छह लंबी कहानियां - पराग प्रकाषन , दिल्ली ऽ महानगर की मैथिली ( 1987 ) – नेशनल पब्लिशिग हाउस , दिल्ली ऽ काला शुक्रवार ( 2004 ) - राजकमल प्रकाशन , दिल्ली ऽ कांसे का गिलास ( 2004 ) - पांच लंबी कहानियां - आधार प्रकाशन , पंचकूला , हरियाणा ऽ मेरी तेरह कहानियां ( 2005 ) – अभिरुचि प्रकाशन , दिल्ली ऽ रहोगी तुम वही ( 2007 ) - रे माधव प्रकाशन , दिल्ली ऽ 21 श्रेष्ठ कहानियां ( 2009 ) - डायमंड बुक्स , दिल्ली ऽ एक औरत: तीन बटा चार ( 2011 ) - बोधि प्रकाशन , जयपुर ऽ मेरी प्रिय कथाएं ( 2012 ) - ज्योतिपर्व प्रकाशन , दिल्ली ऽ 10 प्रतिनिधि कहानियां ( 2013 ) - किताबघर प्रकाशन , दिल्ली ऽ अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी ( 2014 ) - साहित्य भंडार , इलाहाबाद उपन्यास - ऽ यहीं कहीं था घर (2010) - सामयिक प्रकाशन , दिल्ली कविता संकलन - ऽ रचेंगे हम साझा इतिहास ( 2012 ) - मेधा प्रकाशन , दिल्ली ऽ कम से कम एक दरवाज़ा ( 2015 ) - बोधि प्रकाषन , जयपुर स्त्री विमर्ष - ऽ आम औरत: जि़न्दा सवाल ‘ ( 2008 ) - सामयिक प्रकाषन , दिल्ली ऽ एक औरत की नोटबुक ( 2010 ) - मानव प्रकाषन , कोलकाता ऽ एक औरत की नोटबुक ( 2015 ) - राजकमल प्रकाशन , नई दिल्ली एकांकी - आॅड मैन आउट उर्फ बिरादरी बाहर (2011) - राजकमल प्रकाशन , दिल्ली संपादन - औरत की कहानी (2008) - भारतीय ज्ञानपीठ , दिल्ली भारतीय महिला कलाकारों के आत्मकथ्यों के दो संकलन - ’दहलीज़ को लांघते हुए‘ और ’पंखों की उड़ान ‘- स्पैरो , मुंबई ( ैवनदक ंदक च्पबजनतम ।तबीपअमे वित त्मेमंतबी वद ॅवउमद ) मन्नू भंडारी: सृजन के शिखर (2010) - किताबघर प्रकाशन , दिल्ली मन्नू भंडारी का रचनात्मक अवदान (2012) - किताबघर प्रकाशन , दिल्ली स्त्री संवेदनाः विमर्ष के निकष - खंड एक और दो (2015) - साहित्य भंडार , इलाहाबाद ऽ औरत की दुनिया: जंग जारी है .... आत्मसंघर्ष कथाएं (शीघ्र प्रकाष्य ) ऽ औरत की दुनिया: हमारी विरासत: पिछली पीढ़ी की औरतें (शीघ्र प्रकाष्य ) अनुवाद - ऽ कहानियां लगभग सभी भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी , फ्रंेच, पोलिश, चेक, जापानी, डच, जर्मन, इतालवी तथा ताजिकी भाषाओं में अनूदित और इन भाशाओं के संकलनों में प्रकाशित । ऽ रहोगी तुम वही (2008-उर्दू भाषा में) (किताबदार , मुंबई ) ऽ उंबरठ्याच्या अल्याड पल्याड-(मनोविकास प्रकाशन , पुणे , महाराष्ट्र) (2012 -स्त्री विमर्ष पर आलेखों का संकलन मराठी भाशा में ) ऽ वेख धीयां दे लेख - यहीं कहीं था घर उपन्यास का पंजाबी अनुवाद टेलीफिल्म - सुधा जी की कहानियों ‘युद्धविराम’ , ‘दहलीज़ पर संवाद’ , ‘इतिहास दोहराता है’ तथा ‘जानकीनामा’ पर मुंबई , लखनऊ तथा कोलकाता दूरदर्शन द्वारा लघु फिल्में निर्मित . दूरदर्शन के ‘समांतर’ कार्यक्रम के लिए कुछ लघु फिल्मों का निर्माण . फिल्म पटकथाओं (पटकथा-बवंडर), टी. वी. धारावाहिक और कई रेडियो नाटकों का लेखन । साक्षात्कार - उर्दू की प्रख्यात लेखिका इस्मत चुग़ताई , बंाग्ला की सम्मानित लेखिका सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी ( नलिनी सिंह के कार्यक्रम ‘सच की परछाइयां ’ के लिए ) हिन्दी की प्रतिष्ठित लेखिका मन्नू भंडारी , लेखक भीष्म साहनी , राजेंद्र यादव , नाटककार लक्ष्मीनारायण लाल आदि रचनाकारों का कोलकाता दूरदर्शन के लिए साक्षात्कार । स्तंभ लेखन - ऽ सन् 1977-78 में पाक्षिक ‘सारिका’ में ‘आम आदमी: जिन्दा सवाल’ का नियमित लेखन ऽ सन् 1996-97 में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर एक वर्ष दैनिक अखबार ’जनसÙाा ‘ में महिलाओं के बीच लोकप्रिय साप्ताहिक काॅलम ’वामा ‘ । ऽ मार्च सन् 2004 से मार्च 2009 तक मासिक पत्रिका ‘ कथादेश ’ में ‘ औरत की दुनिया ’ स्तंभ बहुचर्चित ऽ अप्रैल 2013 से ‘कथादेष’ में ‘राख में दबी चिनगारी’ स्तंभ जारी । सम्मान - सन् 1978 में उत्त्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा विशेष पुरस्कार से सम्मानित . सन् 2008 का साहित्य क्षेत्र का भारत निर्माण सम्मान . सन् 2010 का प्रियदर्शिनी सम्मान . सन् 2011 का वीमेंस अचीवर अवाॅर्ड . सन् 2011 का केंद्रीय हिंदी निदेषालय का पुरस्कार सन् 2012 का महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी का पुरस्कार . सन् 2014 का राजस्थान का वाग्मणि सम्मान

समीक्षा
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  • author
    Pankaj Jain
    28 ഏപ്രില്‍ 2017
    बहुत संवेदनशीलता से लिखी कहानी जो भावों को किसी गहरे स्तर पर छू लेती है।
  • author
    Kokila Agarwal
    12 ജൂണ്‍ 2020
    एक ही सांस में पढ़ती चली गई। गहरा बंध महसूस हुआ। प्रौढ़ावस्था का अकेलापन , मन की व्यथाओं को बांट लेने के लिये संगी साथी , कोई अपना जो मर्म तक पहुंचे , जीवन की खुलती गुत्थियाँ जिसे कभी खुद से भी नहीं कहा , मुस्काने का चिपकाये रहना। अपनो के रहते भी खालीपन को कहानी में बहुत ही सुंजरता से गूँथा है। बहुत अच्छी लगी।
  • author
    Anju Gogawat
    01 ജൂണ്‍ 2020
    भावनाएं उम्र नहीं देखती खालीपन सबको सताता है। लेखिका ने बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है भावनाओ के उमड़ते सागर का।
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    Pankaj Jain
    28 ഏപ്രില്‍ 2017
    बहुत संवेदनशीलता से लिखी कहानी जो भावों को किसी गहरे स्तर पर छू लेती है।
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    Kokila Agarwal
    12 ജൂണ്‍ 2020
    एक ही सांस में पढ़ती चली गई। गहरा बंध महसूस हुआ। प्रौढ़ावस्था का अकेलापन , मन की व्यथाओं को बांट लेने के लिये संगी साथी , कोई अपना जो मर्म तक पहुंचे , जीवन की खुलती गुत्थियाँ जिसे कभी खुद से भी नहीं कहा , मुस्काने का चिपकाये रहना। अपनो के रहते भी खालीपन को कहानी में बहुत ही सुंजरता से गूँथा है। बहुत अच्छी लगी।
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    Anju Gogawat
    01 ജൂണ്‍ 2020
    भावनाएं उम्र नहीं देखती खालीपन सबको सताता है। लेखिका ने बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है भावनाओ के उमड़ते सागर का।